रविवार, 27 मई 2012

राजू पासवान ने चोर पकड़ा


लखनऊ विश्वविद्यालय के लाल बहादुर शास्त्री छात्रावास में कुछ ही डबल सीटेड कमरे हैं । उनमें १२ नंबर में हम रहते थे । बीए के पहले साल में मेरा रूममेट विनय था और दूसरे साल में राजू पासवान, जो कि चम्पारन से था और हमसे एक साल जूनियर था ।
दूसरे साल की गर्मियों में जनसंख्या कम होती है । इसका फ़ायदा उठाकर चोर बाथरूम से वाश-बेसिन की टोंटी चुरा ले जाते थे । बाथरूम हमारे कमरे के सामने ही था । टोंटी चुराने के लिए वाशबेसिन को तोड़ना पड़ता था । हम घर में थे और राजू हॉस्टल में । एक-दो दिन पहले ही एक टोंटी चुराई जा चुकी थी । दोपहर को राजू सो रहा था तब उसने बाथरूम में खट-खट की आवाज सुनी । ऊँघते हुए ही वह बाथरूम में गया । उसका मन सजग था पर चेहरा ऊँघता ही बना रखा था । एक वाशबेसिन थोड़ा टूटा हुआ था । वहाँ एक आदमी था जो उस समय हाथ धोने जैसा कुछ कुछ कर रहा था, चुपचाप । वह चुपचाप कमरे में लौट आया । अगर चोर जान जाता है कि उसे पहचान लिया गया है तो भाग जाएगा । अकेले पकड़ना मुश्किल है । अब वह क्या करे?
वह फिर से बाथरूम में गया ।
"भैया जरा तखत पकड़ा देंगे? उसे एक जगह से दूसरी जगह रखना है ।"
"चलो ।"
दोनों कमरे में आ गए ।
"अकेले होगा नहीं, आप यहाँ बैठिये, हम कुछ और लोगों को बुला लाते हैं ।"
"ठीक है ।"
राजू ने धीरे से दरवाजा बाहर से बन्द कर दिया, बिना आवाज किये । फिर हॉस्टल से कई लड़कों को बुला लाया । फिर चोर के साथ जो होना था हुआ । चोर नहीं जानता था कि एक ऊँघते हुए लड़के से भी काफ़ी सावधान रहने की जरूरत थी उसे बचने के लिए ।