शुक्रवार, 1 अप्रैल 2011

मत रोको खुद को

मुझे पता है कि बेकरार हो तुम भी मुझसे मिलने को ।
कुछ तो मजबूरियाँ और कुछ उसूल रोके हैं ॥

जो कुछ भी तुम्हें रोकता हो, डराता हो तुम्हें इसके लिए ।
छोड़ो उन्हें कह दो कि ये नज़रों के धोखे हैं ॥

बातें बहुत सी करेंगे लोग तुमको डराने धमकाने को ।
सोच लो ध्वनि तरंगें हैं या हवा के झोंके हैं ॥

नहीं डरना है तुमको हमको इन विघ्न बाधाओं से ।
दुनिया वाले तो अपनी पूरी ताकत झोंके हैं ॥

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