कुछ बातें होती हैं जिन्हें कहने का मन होता है पर सामान्यतः किसी के काम की नहीं होतीं । आज के उपयोगितावादी युग में ऐसी अनुपयोगी बातों को कौन सुने । अगर कहने लगूँ तो वे लोग भी ऊब जाते हैं जिनसे बहुत सारी लाभकारी बातें की हों । सदा मैं ऐसा नहीं रह सकता कि केवल मतलब की बात करूँ । मैं किसी से ऐसी आशा कैसे रख सकता हूँ कि कोई केवल मेरी बकवास सुनने के लिए अपना समय खर्च करे । इसके लिए यह ब्लॉग बनाया है, जहाँ सामने बैठे सुनने वाले की ज़रूरत नहीं । फिर भी मनुष्य की अपनी महत्त्वपूर्ण जगह है ।
मंगलवार, 12 अप्रैल 2011
एक बच्चे का बच्चे सा दिल
एक बच्चे का बच्चे सा दिल बचकानी हरकत करता है वह बच्चा वह हरकत दिल की दिखलाने में भी डरता है जोर बहुत देते हैं सब कि जो दिल में है खोल के रख दो लोग न समझेंगे इस कारण कुछ कह पाने में डरता है
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